आओ कुछ कहानिया बुने

कहानिया कहना और सुनना किसे नही अच्छा लगता। हम सभी चिट्ठाकारों के पास कहने सुनाने के लिए बहुत कुछ है। चिट्ठाकारी का लगातार विकास होता जा रहा है नए नए चिट्ठाकार हमारे साथ जुड़ते जा रहे है, विभिन्न विचारधाराओं और पेशे वाले इससे जुड़ रहे है। आज हमारे चिट्ठाकार परिवार मे साहित्यकार, कहानीकार, पत्रकार, डाक्टर, इन्जीनियर और भी कई तरह के लोग है। हम सभी लेखन का शौंक रखते है। तो क्यों ना आपके लेखन के शौंक की परीक्षा ले ली जाए। आइए बुनते है कुछ नयी कहानियां, बुनो कहानी मे। पहले मै इस प्रोजेक्ट के बारे मे थोड़ा ब्रीफ़ कर दूं (मेरे पुराने लेख का एक अंश🙂

बुनो कहानी का आइडिया देबू के दिमाग की देन था। हम लोगों को आइडिया क्लिक किया और आनन फानन में साइट बन गयी। बुनो कहानी अपने आप में एक अनूठा प्रोजेक्ट था। इसमें एक चिट्ठाकार (कहानीकार) कहानी का एक हिस्सा लिखता, दूसरा उसको आगे बढाता, कहानी तीन या चार भाग में समाप्त होती। बुनो कहानी की पहली कहानी बनी मरीचिका जिसका पहला हिस्सा “यादें ३१ दिसम्बर २००४ को मेंरे द्वारा लिखा गया। इस कहानी को अतुल अरोरा और अनूप शुक्ला ने आगे बढाया। देबू ने संपादन और साज सज्जा का काम सम्भाला। इसे करने में सबको मजा आया। सभी ने अपनी कहानीकारी के स्किल का प्रयोग किया। परस्पर सहयोग की भावना को विकसित करने में यह कारगर तरीका था। अब तक बुनो कहानी पर छह कहानियां लिखी गयी है। समयाभाव की वजह से कुछ अधूरी कहानियों को आगे नही बढाया जा सका। हो सकता है आप में से कुछ साथी उन कहानियों को आगे बढा सकें या नयी कहानियां बुन सकें।

बुनो कहानी मे वैसे तो काफी कहानियां पूरी लिखी जा चुकी है, कुछ कहानिया अधूरी भी है, लेकिन यदि आप किसी भी पूरी कहानी से आगे की कहानी अथवा अधूरी कहानी को आगे बढाना चाहते है तो आपका स्वागत है। आप कहानी मे टिप्पणी करके अथवा मुझे इमेल करें आपको निमन्त्रण भेज दिया जाएगा। यदि आप चाहे तो इस बारे मे परिचर्चा पर भी चर्चा कर सकते है। चाहे वो सामाजिक हो, हास्य कथा हो अथवा सांइस फिक्शन, आप चाहे तो एक बड़ा सा उपन्यास भी शुरु कर सकते है। आपकी लिखी कहानियों को मामूली सी व्याकरण/हिज्जे की गलतियों को सुधार कर, आपके नाम के साथ, शीघ्रातिशीघ्र छाप दिया जाएगा। तो देखें सबसे पहले कौन कहानी लिखता है….

ऐसा कोई जरुरी नही कि आप सिर्फ़ कहानी लिखकर ही इसमे योगदान करें। अन्य कई तरीके है जैसे, ग्राफिक्स वाले बन्धु इस साइट के लिए कोई नया ग्राफिक्स डिजाइन कर सकते है, ब्लॉगस्पाट के जानकार, इसके लिए कोई कस्टमाइज्ड थीम डिजाइन कर सकते है इसके अतिरिक्त यदि आप चाहे तो बुनो कहानी के नए कहानीकारों को प्रोत्साहन देने के लिए कोई पुरस्कार भी प्रायोजित कर सकते है आपका सभी का हार्दिक स्वागत है। ध्यान रखिए, हिन्दी के लिए किया गया आपका आज का योगदान, भविष्य मे हजारों लोगो को हिन्दी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

5 Responses to “आओ कुछ कहानिया बुने”

  1. देखें लिखाड़ लोग आगे आते है क्या? सिलसिला पुनः जारी हो तो मजा आ जाये. अग्रीम शुभमनाएं. कहानी बुनने का प्रयोग मजेदार है.

  2. यह भी अनोखा आइडिया है… मजेदार!!!

  3. आता हूँ तुरंत… 🙂

    तीन दिन के अवकाश (विवाह की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में) एवं कम्प्यूटर पर वायरस के अटैक के कारण टिप्पणी नहीं कर पाने का क्षमापार्थी हूँ. मगर आपको पढ़ रहा हूँ. अच्छा लग रहा है.

  4. अरे समीर जी,
    शादी का वर्शगान्ठ और तीन दिन का अवकाश ?
    भई कुछ जम नही रहा है, तीन दिन का राश्ट्रीय शोक तो अब तक सुने थे .
    अगर खुशिये मे तीन दिन बिन्धे रहे तो भईया शादी के बाद कोहबर से कितने
    दिन मे बाहर निकले ?
    ई तो कहानी-किस्सा लगता है, इसी पर एक कहानी लिखा जाये का ?

  5. अरे समीर जी,
    शादी का वर्शगान्ठ और तीन दिन का अवकाश ?
    भई कुछ जम नही रहा है, तीन दिन का राश्ट्रीय शोक तो अब तक सुने थे .
    अगर खुशिये मे तीन दिन बिन्धे रहे तो भईया शादी के बाद कोहबर से कितने
    दिन मे बाहर निकले ?
    ई तो कहानी-किस्सा लगता है, इसी पर एक कहानी लिखा जाये का ?

    ऊ का बोलते है….मोडरेटर जी का वीटो न लग जाये ,इसलिये इ एक लाईन और
    जोर कर फिर से पोस्ट कर रहा हू. भाई जो तात्कालिक प्रतिक्रिया मन मे हुई लिख दिया,
    अब चाहे काटे ,चाहे पीटे उनकी मर्जी.
    सईटिया तो उन्ही की है न .