इन्टरनैट या ज्ञानवृक्ष?

बचपन मे मेरी माताजी,प्रतिदिन मुझे देवी देवताओं की कहानिया सुनाया करती थी। इन कहानियों मे कभी कभी एक कल्पवृक्ष का नाम आया करता था। कल्पवृक्ष यानि एक ऐसा वृक्ष होता है, जिसके नीचे तपस्या करने से धन की प्राप्ति होती है। तब मै अक्सर माताजी से पूछता था कि ये कल्पवृक्ष कहाँ मिलता है और मुझे कब मिलेगा, तो माँ मेरे सर पर हाथ फेरती हुई कहती थी, तुम ज्ञानवृक्ष की तलाश करो, धनवर्षा अपने आप होगी। आज माताजी तो नही रही, लेकिन इंटरनैट के रुप मे ज्ञानवृक्ष हमे मिल चुका है, जो चाहो वही मिल जाता है। एक छोटा सा उदाहरण देता हूँ, अभी कुछ दिन पहले की ही बात है…

अक्सर बच्चों मे देखा जाता है, अपनी पढाई मे उलझे रहने के कारण, छोटी छोटी चीजें जैसे ग्राफ़ पेपर, क्राफ़्ट पेपर या कुछ और चीजे अक्सर भूल जाते है। कुछ दिन पहले ही बड़ी बेटी का गणित का इम्तिहान था, एक दिन पहले रात के दस बजे ही बताया जाता है, ग्राफ़ पेपर लाना है, अभी और इसी समय। उस समय कौन घर से निकले ग्राफ़ पेपर लेने। वैसे भी कुवैत मे आजकल पारा जीरो डिग्री से नीचे चला जाता है, खैर..अर्जेन्सी इस कदर होती है कि अभी नही लाए तो कल गणित के इम्तिहान मे कम नम्बर लाने की धमकी तक मिल जाती है। उस दिन तो मै झेल गया, तुरन्त 24X7 शॉप से जाकर ले आया, लेकिन लौटकर मन मे ठान ली, जो तकलीफ़ मेरे को हुई दूसरे को ना हो। इन्टरनैट पर खोजा तो अपने जैसे और भी भाई लोग मिले जो हमारे जैसे परेशान हो चुके थे। तो भैया जब कभी आपको भी देर सबेर, ग्राफ पेपर चाहिए तो इधर से अपनी साइज के हिसाब से प्रिंट कर लीजिएगा। इस साइट पर दुनिया मे जितनी भी तरह के ग्राफ़ पेपर होते है, मौजूद है, बस साइज बताइए और पीडीएफ़ फ़ाइल लीजिए।

जय हो इंटरनैट महाराज ना ना ज्ञानवृक्ष महाराज की…..आपके भी कोई ऐसे अनुभव हो तो जरुर बताएं।

नोट: पिछली पोस्ट (सबसे कड़क कौन? वाली पोस्ट) एक प्रायोगिक पोस्ट थी, मुझे कुछ रिसर्च करनी थी, उसी के लिए ऐसा किया था, रिजल्ट आगे कभी आप लोगों के साथ शेयर करूंगा। पोस्ट की वजह से मेरी सुधी पाठकों को हुई असुविधा के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।

2 Responses to “इन्टरनैट या ज्ञानवृक्ष?”

  1. आपकी बात तो सही है पर आप यह भी मानेगे कि इस वृक्ष को सीच कर अभी और हरा-भरा बनाना है। और इसके लिये समर्पित लोगो की एक पीढी की जरूरत होगी।

  2. जीतू जी, इस तरह की इनफर्मेशन शेयर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद…..अच्छा लगा पढ़ के, विशेष कर जब यह आभास हुया कि आप की स्वर्गीय माताश्री की आशीषें काम आ गईं। आशा है कि आप ने यह पोस्ट अपने बच्चों को भी पढ़ाई होगी….ताकि उन्हें भी पता चले कि उन की दादीमां की सोच भी कितनी आगे की सोच थी।
    शुभकामऩाएं