बाजार मे अफरातफरी, दूसरा आईपीओ भी वापस
आज हफ़्ते के आखिरी कारोबारी दिन (शुक्रवार, 7 फरवरी, 2008) को बाजार मे अफरातफरी का माहौल रहा, दिन भर बाजार एक सीमित दायरे मे कारोबार करते रहे, आखिरी मे बाजार लगभग 62 अंक गिरकर बंद हुआ। ऐसा क्यों हुआ? ना तो अर्थव्यवस्था मे कोई नकारात्मक रुझान आएं है और ना ही कोई ऐसी घटना घटी है जिससे बाजार मे गिरावट आए। दरअसल ये सारी तैयारी सोमवार को रिलायंस पावर के लिस्टिंग को लेकर है। सोमवार को अनिल अंबानी का चर्चित शेयर रिलायंस पावर लिस्ट होगा। लिस्टिंग प्राइस 450 रु है, सभी निवेशक इससे काफी उम्मीद लगाएं बैठे है। लेकिन शायद बड़े खिलाड़ी पहले से ही कुछ और सोचे बैठे है। इसलिए रिलायंस पावर की लिस्टिंग के पहले बाजार को और गिराया गया है। ये गिरावट कृत्रिम है और जानबूझ कर की गयी है।
विदेशी बाजारों से जितना नुकसान होना था हो चुका, सभी बुरी खबरों को बाजार डिस्काउंट कर चुका है। वाल्यूम्स इतने ज्यादा नही है, लेकिन छोटे वाल्यूम्स भी बाजार को स्थिरता दे सकते है। निवेशकों को विदेशी संस्थागत निवेशकों की तरफ़ ना देखते हुए, इसी वाल्यूम्स के जरिए बाजार मे विश्वास बनाए रखना चाहिए। विदेशी निवेशक वापस लौटेंगे, उनके पास और कोई रास्ता ही नही है। लेकिन अस्थिरता के माहौल मे कोई भी विदेशी निवेशक यहाँ पैसा क्यों लगाएगा? छोटे निवेशकों और लघु अवधि के निवेशकों को इस समय बाजार से दूर ही रहना चाहिए, कंही इस बड़े खेल मे आप अपनी बची खुची पूँजी-सम्पत्ति ही ना गँवा बैठे। लेकिन दीर्घकालीन निवेशक के लिए कई अच्छी कम्पनियों के शेयर बहुत ही वाजिब दामों पर उपलब्ध है। यदि आपके पास अपना खुद का पैसा है और आप लगभग सवा एक साल से दो साल की बीच का इंतजार कर सकते है तो आप अपने पैसे दोगुने कर सकते है। लेकिन कम्पनियों का चयन सावधानी से करिए, खबरों की बजाय, कम्पनियों की बैलेंस शीट पर नजर रखिए। अफवाहों की बजाय, पिछले रिकार्डे को देखकर खरीद करें। यदि आप इन सब चीजों को नही कर सकते तो म्यूचल फ़ंड मे ही पैसा लगाएं, शेयर मार्केट की तरफ़ रुख मत करें।
बाजार मे लगातार होने वाली गिरावट से उन छोटे निवेशकों मे निराशा की लहर दौड़ गयी है जो रिलायंस पावर की लिस्टिंग से कमाई करने उम्मीद लगाए बैठे थे। इस बार ये पक्का है कि छोटे निवेशक अपने एलाटेड शेयर औने पौने दामों मे बड़े खिलाडियों के हाथों गवाँएंगे जो इन पर लम्बी अवधि मे अच्छा मुनाफ़ा कमाएंगे। इधर नए पब्लिक इशू का बुरा दौर समाप्त होता नही दिख रहा। वोकहार्ट हास्पिटल के बाद एमआर-एमजीएफ़ ने भी अपना आईपीओ वापस ले लिया है। ये दोनो आईपीओ जब प्लान हुए थे तब बाजार बहुत ऊंचाई पर थे, इन कम्पनियों के प्रतिद्वंदी कम्पनियों के शेयर काफी ऊंचाई पर थे। इन आईपीओ की प्राइस बैंड भी उन शेयरों को ध्यान मे रखकर बनायी गयी थी। लकिन जब वे सभी शेयर अर्श से फर्श पर आ गिरे है तो आईपीओ की प्राइस बैंड मंहगी दिखने लगी है। इस महंगी प्राइस बैंड कोई इन आईपीओ मे निवेश क्यों करेगा। दोनो आईपीओ का वापस लिया जाना यही दर्शाता है कि छोटा निवेशक पहले रिलायंस आईपीओ की लिस्टिंग का हश्र देखना चाहता है उसके बाद ही वो कुछ निर्णय लेगा। सोमवार को रिलायंस पावर की लिस्टिंग की आखिरी उठापटक और थोड़ी सी और गिरावट के बाद बाजार मे स्थिरता के वापस लौटने की उम्मीद है।
रिसर्च से भरपूर जानकारी भरे लेख के लिए बधाई…
नया रंग रुप अच्छा लगा। स्थिरता के वापस लौटने की उम्मीद मुझे तो बजट के आने तक नहीं है।
मेरा पन्ना का नया लुक सेक्सी लगा। बेहद मस्त। कर दे मदमस्त। बाजार में अफरातफरी, दूसरा आईपीओ भी वापस…उम्दा लेख। प्राइस बैंड कम करने के बावजूद निवेशकों ने इनमें रुचि नहीं दिखाई जिससे यह भी पता चलता है कि जोरदार तेजी में यह अपनी कीमत से ज्यादा पैसे वसूल रहे थे अन्यथा श्रेष्ठ होते तो निवेशक इनमें निवेश जरुर करते। मंदी के सभी कारक अब डिस्काउंट हो चुके हैं लेकिन थोडा सावधान रहने की अभी भी जरुरत है। मेरे अनुमान में दिवाली 2008 के आसपास या इस साल के अंत तक सेंसेक्स 25 हजार अंक पहुंच जाएगा। सबसे बड़ी बात तो धैर्य की है और धैर्यवान निवेशक ही पैसा कमा पाएंगे।
इतने अचछे लेखो के लिए शुकिया bio date and infra baraha के अचछे net पर free बलाग कैसे बनाया जाता है।