मोहल्ला-भड़ास विवाद पर

यहाँ आने का शुक्रिया, मै इस फिजूल के टापिक पर लेख लिखकर, मेरा पन्ना का स्तर नही गिराना चाहता। और भी गम है जमाने में……। बाकी सभी ब्लॉगर्स से भी यही निवेदन है कि अपनी अपनी ब्लॉगिंग पर ध्यान दें। ये विवाद टीआरपी बढाने का जरिया भर है। जाते जाते एक मुहावरा :

सूप कहे छलनी से तुझमे सौ सौ छेद……

[Tags] फालतू, के, लफ़ड़े, मे,मत, पड़ें [/tags]

10 Responses to “मोहल्ला-भड़ास विवाद पर”

  1. Aare aaj to 1st April nahi hai.
    Khair koi baat nahi aapki baat ko dhyan denge.

  2. धन्यवाद!

  3. शायद आप सही कह रहे हैं।

  4. सही फरमाया आपने, यह टीआरपी बढ़ाने का सस्‍ता फंडा है। इससे फायदा तीन लोगों को हुआ, यशवंत सिंह, मनीषा पांडेय और अविनाश को। तीनों के ब्‍लॉग को जो नहीं जानते थे, जानने लगे, विजीटर बढ़े और थोड़े प्रसिद्ध हो गए। हालांकि,ऐसी सस्‍ती प्रसिद्धि लंबे समय तक नहीं टिकती। ढंग के कार्य ही लंबे समय तक लोगों को याद रहता है।

  5. 🙂

  6. 🙂

  7. ताऊजी,

    एक पन्ने पर तीन ही गूगल एडसेंस लगते हैं. मुख्य पृष्ठ पर तीन लगा देने से हल्की नीली पट्टी की जगह खाली हो गई है!!!

    वैसे ऐसा टाइटल लगाने से लोग बाग (मैरे जैसे भी 🙂 )दौडे दौडे चले आते हैं… फिर आप सीधा पानी मे फैंक दे देते हो कि जागो … 🙂 सही है. वैसे हम तो काफी पहले से ही जाग चुके हैं.

    आजकल सोचता हुँ कि, जिसको जो जी में आए करने दे .. काहे को फालतु के टेंशन लेने के.. हम तो आजकल आँख और कान काम की चीजों के लिए खोलते हैं. 🙂

  8. कमाल होग्या जी, पाँच मीन्ने होग्ये कोई, इबी लग निबट्या नी यो रोला के?

  9. भाई मुझे जानकारी चाहिए।
    वह विवाद था क्या और किस वजह से शुरु हुआ

    Aadarsh Rathore’s last blog post..नाईट शिफ्ट ओवर करके….

  10. वाह आपने तो कमाल का तोहफा वास्‍तव में दिया है।
    धन्‍यवाद
    राजू