राजनीति के हमाम मे सब नंगे

केंद्र की कांग्रेस सरकार ने अमरीका के साथ परमाणु करार की तरफ कदम क्या बढाए, वामपंथी भड़क उठे और धमकियां देने के बाद आखिरकार समर्थन वापस ले ही लिया। इस तरह से वामपंथी बैसाखियों के सहारे टिकी सरकार अल्पमत मे आ गयी। लेकिन बात सिर्फ़ यहाँ तक समाप्त नही होती। कांग्रेस ने जवाबी फायरिंग मे, सपा को अपनी तरफ़ करने के बाद,  विश्वास मत मे विजय की बात कहकर वामपंथियों के गुस्से को और बढा दिया। अब वामपंथी नेता प्रकाश करात ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। अब पक्ष और विपक्ष सांसदों की खरीद फरोख्त मे जुट गए है। सांसद भले ही अपराधी हो, जेल मे बन्द हो, अथवा रुठा हुआ बैठा हो, मनाने मे कोई कोर कसर नही छोड़ी जा रही। छोटी छोटी मांगे (जैसे एयरपोर्ट का नाम बदलना, जेल से अस्पताल मे शिफ़्ट करवाना) तुरन्त मानी जा रही है। सभी लोग सूटकेस लेकर दरवाजे पर खड़े है। सांसदों के तो सारे खर्चे निकल आए, इसे कहते है डिमांड और सप्लाई का खेल।

वामपंथियों को पहली गलती तो यह रही, समर्थन वापसी के बाद, सरकार गिराने को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया, उधर कांग्रेस की मजबूरी थी, आखिर बुश पा जी (जोड़ कर भी पढ सकते है) को वायदा जो किया हुआ था। बीजेपी तो जैसे मौके की तलाश मे पहले से ही थी। सही भी है, कर्नाटक मे मिली जीत से हौंसले बुलन्द जो है। लेकिन इस सांसदों की तलाश की आपाधापी मे सभी पार्टियां अपने अपने कपड़े उतारती दिखी। पक्ष हो या विपक्ष हर तरफ़ नंगे ही नंगे दिखे। कोई वैल्यू, सम्मान, संवैधानिक जिम्मेदारिया,  संसदीय गरिमा, मतदाताओं का विश्वास कुछ भी इनको नही दिखा। दिखे भी क्यों, मतदाता के विश्वास तो ये लोग उसी दिन बेच खाते है जिस दिन सरकार बनाते है। अब रही बात मतदाता की, वो तो अगले चुनाव के पहले फिर से पटा लिया जाएगा।

अब 22 जुलाई को होने वाले विश्वास मत का चाहे जो कुछ हो, लेकिन मतदाता यही सोच रहा है, काश! हमने इन सांसदों को ना चुना होता…..लेकिन भारतीय राजनीति मे हमेशा यही होता आया है और यही होता रहेगा। हे ईश्वर! कब तक हमे ऐसे लोगो को झेलना पड़ेगा? ऐसे स्वार्थी नेताओं से देश को बचाओ,  या फिर इन सभी को एक साथ अपने पास ही बुलवा लो ना, कम से कम धरती का बोझ तो कम हो।

7 Responses to “राजनीति के हमाम मे सब नंगे”

  1. एकदम सही कहा आपने, राजनीति के हमाम मे सब नंगे थे, हैं और रहेंगे, वास्तविक गलते इनकी भी नही है, जनता की गलती है, इन गंदे लोगो को धोने के लिये कोई आगे आना ही नही चाहता है, और ये अपनी गंदगी छोडना ही नही चाहते हैं।

    राम बचाये देश को ऐसे कर्णधारो से।

  2. achcha likate hai

    http://vipinkizindagi.blogspot.com

  3. बहुत से लोग यही प्रार्थना करते हैं – “हे ईश्वर! कब तक हमे ऐसे लोगो को झेलना पड़ेगा? ऐसे स्वार्थी नेताओं से देश को बचाओ,या फिर इन सभी को एक साथ अपने पास ही बुलवा लो ना, कम से कम धरती का बोझ तो कम हो।” पता नहीं ईश्वर कब यह प्रार्थना सुनेगा?

  4. सही कहा आपने
    राजनीति की कोठरी में कैसो ही सयानो जाय
    एक लीक कालिख की लागी है सो लागी है

  5. जीतू भाई प्रणाम !
    कल रात को नेट पर घूमते-घूमते आपके पन्ने “आओ वैब पर अपना घरौंदा बनाएं” पर नजर पड़ी उसके बाद तो क्या बताएँ ऐसे उलझे आपके पन्नो में की रात के १० बजे से सुबह के ४ कब बज गए पता ही नही चला | मगर पूरा खंगालने के बाद भी उसके बाद वाला पन्ना “डोमेन नेम” नही मिला अब पता नही आपने लिखा नही या मुझे मिला नही | अब मेरी ब्लॉग बनाने की जानकारी [हिन्दी में] की “जिज्ञासा” प्रबल हो गई है क्रपया मार्ग दर्शन करें

  6. aap sahi hai par dukh us samaya hota hai jab is gandi politics me man mohan ji jaise good man bhi kharab ho jate hai hum in ghatiya logo ke karan man mohan sing, p. chidambaram jaise layak logo ko kho denge hume railway ke kalyan ko bhi nahi bhulna chahiye. hamara railway bimar tha is me jaan aa gayi history me bhi kabhi kiraya kam nahi hua par ab is mahgayi me bhi kiraya kam and suvidha badhi hai. patol ki cost to jab 35$ rate thi to 47/- me milta tha ab 147$ hai to 54 me milta hai hum kah sakte hai ki sarkar garibo k sath hai lekin sarkar k saath kismat nahi.

  7. यही राजनीति (??) है. तमाशा देखो और कूढ़ते रहो….