Archive for मार्च, 2010

रीठेल : हमारी छुट्टी का विवरण

Tweet लीजिए पेश है, एक पुराने लेख का रीठेल, ये लेख 2006 मे लिखा गया था, तब से लेकर अब तक तीन साल बीत चुके है, लेकिन हफ़्ते की छुट्टी का तरीका नही बदला, इस लेख मे कंही कंही आपको स्वयं का चेहरा नजर आएगा, जहाँ भी नजर आए, टिप्पणी करने से चूकिएगा मत। तो […]

अक्सर ऐसा क्यों होता है जब…

Tweet अक्सर हमारे जीवन मे कुछ ऐसी बाते घटती है, कि हम सोचने पर मजबूर हो जाते है कि ऐसा क्यों होता है। लीजिए पेश है कुछ ऐसी घटनाएं। अक्सर ऐसा क्यों होता है जब… आपके हाथ ग्रीस या गुँथे आटे से सने होते है, तभी फोन की घंटी बजती है। अगर पेंच कसते समय, […]

दिल्ली वालों का लिटमस टेस्ट

Tweet क्या आप दिल्ली से है? यदि हाँ तो आइए जरा आपका लिटमस टेस्ट कर लेते है। हमारे पास एक झकास ’जुगाड़’ है जिससे हमे पता चल जाएगा कि आप कितने प्रतिशत दिल्ली के है। पहले एक डिस्क्लेमर : ये एक इमेल मे मुझको मिला था, मेरा इस पर कोई कॉपीराइट नही है। तो आइए […]