मुझे बहुत बुरा लगता है जब….
- जब कभी कश्मीर मे कोई बेगुनाह मरता है।
- कांग्रेसी राहुल सोनियां की चापलूसी करते हैं।
- जब बीजेपी लीडरशिप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दफ़्तरों के चक्कर लगाते हैं।
- जब विश्व हिन्दू परिषद वाले आग उगलते हैं।
- जब नेता ईमानदारी पर भाषण देते हैं।
- जब अंगूठाटेक मिनिस्टर पढे लिखे लोगों के भविष्य का फैसला करते है
- जब गरीब अदालत के चक्कर लगा लगा कर फैसले के इन्तजार मे दम तोड़ देता है।
- जब उमा भारती अपना मुँह खोलती है।
- जब मैकडोनाल्ड और पिजा हट वाले बचा हुआ खाना कूड़े मे फ़ेंक देते है, लेकिन सड़क पर सो रहा रघु रोजाना की तरह भूखा रह जाता है।
- लोग क्रिकेट खिलाडियों पर राजनीति करते हैं।
- लोग दहेज प्रथा पर भाषण देते है लेकिन अपने बेटे की शादी मे सब भूल जाते हैं।
- लोग लड़की पैदा होने पर खुशी की जगह गम मनाते हैं।
- नेता/मिनिस्टर अपनी तुच्छ राजनीति के लिये अदालत की अवहेलना करते हैं।
- जब अपराधी राजनेता बनते हैं।
- जब सरकारी नौकरी मे काबिल को दरकिनार कर, आरक्षण के नाम पर नाकाबिल व्यक्ति को रखा जाता है।
- जब सरकार टैक्स की चोरी का रोना रोती है।
- जब पूजा कीर्तन के नाम पर रात रात भर लाउडस्पीकर लगाकर शोर मचाया जाता है।
- जब सरकार अप्रवासियों के लिये वादे तो बहुत करती है लेकिन सिर्फ़ उन्हे दुधारू गाय की तरह ट्रीट करती है।
- जब हिन्दी ब्लॉगर बहुत दिन तक नही लिखते
लिस्ट तो बहुत लम्बी है, कहाँ तक बतायी जाय, चलिये आप पूरी कर दीजिये।
१ जब हम अपने आपको कमजोर आंकते है.
२ जब हम अमेरीका रोना रोते है, पर भारत को अमेरीका बनाने की नही सोचते
३ जब हम सडको पर कुडा करकट डालते है
४ जब सोनिया विकास की बाते करती है
५ जब तिस्ता सेतलवाड जहर उगलती है
६ जब अर्जुन सिंह मिँया अर्जुन सिंह नजर आते है
७ जब UPA सरकार मुस्लीम तुस्टीकरण करती है
८ जब कश्मीरी पंडित दर दर की ठोकरे खाते है
९ जब हम आंतकवादियो से बातचित करते है
१० जब जीतुजी मेरे ब्लोग “मंतव्य” पर टिप्प्णी नही करते है
लिस्ट में और कुछ है कि कुल बुराई इतनी ही है?
मुझे बहुत बुरा लगता है जब ….
१. तेन्दुलकर रन नहीं बनाता है।
२. अमेरिकन एक्सेण्ट समझ नहीं आता है।
३. ‘अलिक्ज़ेंडर’ फिल्म में भारतीयों को जंगली कबीले जैसा और यूनानियों को सुसभ्य दिखाया जाता है।
४. आफ़रीदी गेन्दबाज़ों की बहुत मार लगाता है।
मुझे भी बुरा लगता हैं-
जब भारत के चन्द्र-अभियान को फिजूलखर्ची कहा जाता हैं.
जब हमारे प्रधानमंत्री नई कारो के स्थान पर पूरनी एम्बेस्डर प्रयोग करने का आग्रह रखते हैं.
जब हमारे राष्ट्रपति हिन्दी में नहीं बोल पाते.
जब अपने ही देश में लोग ‘भारत’ के स्थान पर इन्डिया शब्द का प्रयोग करते हैं.
जब मेरा बेटा अपनी पाठ्यपुस्तक में पढता हैं कि बाबर एक धर्मनिरपेक्ष महान शासक था.
जब बिना डिग्री वालो को बुध्दिहीन समझा जाता हैं.
जब देश के सुनहरे विकाश को आरक्षण का चांटा पङता हैं.
जब लोग भविष्यवक्ताओं के चक्कर लगाते हैं तथा जोतिष्य को विज्ञान कहते हैं.