हमारे बहाने और मिर्जा के उलहाने

जैसा कि आप सभी को पता ही है, व्यस्तता के चलते आजकल ब्लॉगिंग बहुत कम हो गयी है। इससे हमारे पाठकों के साथ मिर्जा साहिब भी काफी परेशान है। अक्सर हमारे ब्लॉग के चक्कर लगा लगा कर थक गए थे, पिछले बहानेबाजी वाली पोस्ट लिखी तो मिर्जा ने एक बैठक रखी और सारे बहानों का पोस्टमार्टम किया है। अब हुआ क्या कि मिर्जा के यहाँ बैठकी तो पिछले हफ़्ते ही हो गयी थी, लेकिन जैसा कि हर आयोग मे होता है, इस  मीटिंग के मिनट्स भी लीक हो गए। अब फुरसतिया जैसे खोजी ब्लॉगर मौका काहे चूकते, धर दिए, पटाक से अपने ब्लॉग पर नमक मिर्च लगाकर। लेकिन भई असली माल इधर है, बिना लाग-लपेट के। सो इसे देखा जाए और भरपूर मजा लिया जाए इस पोस्टमार्टम पोस्ट का।

आजकल काफी व्यस्त चल रहे है।

वाह बरखुरदार। तुमने तो ब्लॉगिंग को ठलुओं का काम बना दिया। इसका मतलब ये है कि पिछली जितनी भी पोस्ट लिखी थी, तब फुल्ली फालतू थे। यदि ऐसा नही, तो तब क्यों लिखी थी और अब क्यों नही लिख रहे?

कुछ दिनो के लिए बाहर चला गया था।

बाहर गए थे तो फोटो चिपकाओ, कोई सबूत भी तो होना चाहिए ना। अंदर कर दिए गए तो जमानत किसने दी? ये अंदर बाहर तो चलता ही रहेगा, ब्लॉगिंग जारी रहनी चाहिए, वरना…..

बच्चों के इम्तिहान चल रहे है।

हाँ तब ठीक है, वो लोग ब्लॉगिंग भले ना करे, पर तुम तो करो…

घर का कम्प्यूटर/इंटरनैट कनैक्शन खराब हो गया था।

अब अपने जैसे ऐरे गैरे आलतू फालतू लोगों से कम्पयूटर लोगे तो ऐसा ही होगा। लैपटाप किधर गया? फिर ऑफिस वाले कम्प्यूटर पर क्या पाला गिर गया है? वहाँ से करो, अगर कंही कुछ नही होता तो हम किस मर्ज की दवा है, यहाँ पर आकर करो, चाय नाश्ता (सब्जेक्ट टू छुट्टन’स मूड) मिलेगा सो अलग।

एक प्रोजेक्ट की डैडलाइन है, उसके बाद ब्लॉगिंग करेंगे।

हो गया बंटाधार। तुम्हारे पिछले प्रोजेक्ट कभी टाइम पर पूरे हुए है जो अब होंगे। प्रोजेक्ट गया तेल लेने, ब्लॉगिंग करो, प्रोजेक्ट तो वैसे भी तुम लटका लटका कर पूरे करते हो, हमे पता है।

अगले हफ़्ते से जरुर करेंगे।

पिछले हफ़्ते भी तो यही बोले थे….एक ही गोली बार बार?

अगले महीने से जरुर करेंगे।

अगले महीने तो तुम दूसरे कुछ जरुरी काम करने वाले हो, देखो हमको तुम्हारा पूरे साल का शिड्यूल पता है, झाम मत फैलाओ, चुपचाप पोस्ट लिख दो, वरना हम सबको बता देंगे कि अगले महीने साइप्रस मे तुम किसके साथ……..। (इसके आगे का सेंसर कर दिया गया है)

अरे यार! कल्लू मामा अपना कुकुर हमारे हवाले कर गए है, उसकी सेवा मे टाइम निकल जाता है।

तो कल्लू को गरिआओ ना, उसको जित्ती गाली गलौच करनी है, ब्लॉग पर लिखो, गालियों का स्टॉक खत्म हो गया है तो हम देते है, एक से एक इन्नोवेटिव गालियां।

लच्छो ताई अपनी बिल्ली……

देखो मियां ये बिल्ली कुत्ते के चक्कर मे ब्लॉगिंग बन्द करोगे तो अच्छा नही होगा।

घर बदल रहे है

सवाल ही नही, इससे अच्छा घर तुमको कुवैत मे तो मिलने से रहा। ये झाम बेकार है।

ब्लॉगिंग करते करते ऑफिस मे धर लिए गए थे, इसलिए आजकल नयी नौकरी ढूंढ रहे है।

दूसरी कोई कम्पनी  तो तुमको झेलने से रही। नौकरी ढूंढने मे धक्के खा रहे हो, उसी पर लिख दो, ना जाने कब बीबीसी वालों की नजर पड़ जाए और अपने यहाँ छाप दें।

यार बहुत ब्लॉगिंग हो गयी थी, थोड़ा आराम कर लें।

सुना नही इत्ते बड़े बड़े ज्ञानी ध्यानी कह गए है कि आराम हराम है, फिर भी तुम ***पन करना चाहते हो?

अब रोज रोज क्या वही बकवास लिखे। कुछ क्लासिक सा घटित हो तब लिखेंगे।

हाँ ये बात सही कही,  कम से कम अपने लिखे की कीमत तो आंकी। लेकिन भाई जो बकवास तुम लिखते हो, हो सकता है दूसरों के काम की हो, या दूसरे इस बकवास से नया लेख लिखने की प्रेरणा पाते हो। कम से कम उनके लिए ही लिखो। रही बात क्लासिक घटना की, तो भई तुम्हारे लिए हम कोई क्राइम तो करने से रहे।

अरे यार जिस दिन वो (क्लासिक) घटना हुई ना, उस दिन हम ……..(ऊपर के कोई बहाने तलाश लें)

वही है, या तो नौ मन तेल होगा, या राधा । दोनो एक साथ होंगे नही तो क्या नाच नही होगा? इसलिए लिखने के लिए किसी घटना का इंतजार मत करो, अगर ज्यादा जिद करोगे तो हमारे यहाँ पधारो, गाली गलौच हटाके जो मिले उसमे तो कई सारी पोस्ट बन जाएंगी।

लोगों से झूठी  तारीफ सुनते सुनते थक गए थे, इसलिए थोड़ा ब्रेक लिया है।

अब तुम कोई रमण कौल तो हो नही, जो लोग तुम्हारी सच्ची सच्ची तारीफ करेंगे। जो मिलता है लेते चलो, गनीमत है कि तारीफ मिल रही है, उनका सोचो जो ब्लॉग पोस्ट लिखकर, दिन मे बीस बीस बार, ब्लॉग खोलकर, टिप्पणी ढूंढने की कोशिश करते है।

आत्मचिंतन चल रहा है।

ये आत्मचिंतन और आत्ममंथन दिमाग वाले लोगो के शोशे है, तुम इस सब मे अपना समय वेस्ट मत करो।

लोगों की आलोचनाओं से दु:खी हो गए थे।

लानत है। गंजो को कंघा, शीशा और फिर बाल उगाने वाला तेल बेचते समय, ऊपर से विग भी बेची है तुमने हमको सब पता है। तब आलोचनाएं नही हुई थी? तब नही घबराए तो अब क्या घबराना।

कोई पढता तो था नही, लिखकर भी क्या तीर मार लेते।

ये तो सरासर झूठ है, कम से कम तुम तो पढते हो ना। यही काफी है, बाकी वो फुरसतिया, वो भी जरुर पढेगा, उसको आइडिया इधर से ही मिलता है। दो हो गए ना, तीसरे हम है, फालतू है और कंही जा नही सकते। फिर गूगल है, आधा दर्जन एग्रीगेटर है, भूले भटके सेक्स वगैरहा ढूंढते ढूंढते पाठक तुम्हारे ब्लॉग पर फटकते ही होंगे। उनके लिए लिखो।

विषयों का टोटा है।

तुम्हारे लिए विषयों का टोटा, भई बात कुछ हजम नही हुई। तुम जब कुत्ते बिल्लियों, रेडियो-टीवी, गली मोहल्ले पर पोस्ट लिख सकते हो, तो बाकी चीजों को काहे छोड़ रहे हो। सभी पर लिखो, आस पास देखो विषय ही विषय है।

आने वाली टिप्पणी और ब्लॉगिंग मे लगने वाले समय का अनुपात ठीक नही बैठ रहा था।

रहोगे सिंधी के सिंधी ही। हर चीज मे बिजिनैस वाला दिमाग लगाते हो। आज टिप्पणी नही आयीं तो कल आएंगी, कल नही तो परसों।

बहुत दिनो से मिर्जा से मिलना नही हुआ।

देखा घसीट लिया ना हमको भी। हम कोई भाग गए है क्या। आओ मिलो बैठो, चाय हुक्का पियों। वापस जाकर ब्लॉगिंग करो। किसने रोका है?

इतने सारे विषय है, सोच नही पा रहे किस पर लिखे।

पहले डिसाइड कर लो, विषयों का टोटा या बहुत सारे विषय है? जो भी हो, इस अंतर्द्वंद पर ही लिख मारो।

लोग बाग हमारे आइडिया चोरी कर ले गए है।

ये शुकुल की बात कर रहे हो? वो तो है ही ऐसा। प्राइवेट (बातों को) पब्लिक (मे छापकर) अनलिमिटेड (वाह वाही वाली) ब्लॉगिंग (लम्बी लम्बी पोस्ट के द्वारा) है उसकी। टेंशन मत लो, तुमको उसके घर मे ही चोरी कर आओ। ज्यादा बोले तो मेरे यहाँ ले आना, घेर कर लूटेंगे।

सारे विषय ही बासी हो गए है।

बासी ही परोस दो, कौन यहाँ पर बलदिया (कुवैत मे फूड इंस्पेक्टर वाले सरकारी डिपार्टमेन्ट को बलदिया बोलते है, ये डिपार्टमेंट बहुत कड़क है, मजाल है कि रेस्टोरेंट/दुकानदार आज का रखा कल परोसें) वाले आ रहे है। कोई फूड ब्लॉग थोड़े ही लिखे हो।

कब तक एक ही शराब को नयी नयी बोतलों में  पैक करके परोसें?

कुवैत मे शराब का नाम भी मत लेना, अंदर कर दिए जाओगे। फिर वहीं पर करते रहना ब्लॉगिंग।

(बाकी के प्वाइंट अगली पोस्ट मे निबटाए जाएंगे। मिर्जा ने हमारे बहानों के साथ साथ टिप्पणी मे आए बहानों पर भी छींटाकशी की है, इसका ब्योरा भी अगली पोस्ट मे मिलेगा। तो फिर आते रहिए, पढते रहिए, आपका अपना पसंदीदा ब्लॉग मेरा पन्ना।


5 Responses to “हमारे बहाने और मिर्जा के उलहाने”

  1. बड़े समझदार हैं मिर्जाजी तो!

    अनूप शुक्ल’s last blog post..हमका अईसा वईसा न समझो…

  2. बड़े दिनों बाद मिर्ज़ाजी ने अपनी आंखें खोली।

  3. सारे बहाने लीक मत करो भई। कुछ और हों तो मेल से बता देना, प्रकाशित मत करना … हमारे काम ही आ जाएं तो – बाद में Open Source कर देना।

    ये आत्मचिंतन और आत्ममंथन दिमाग वाले लोगो के शोशे है, तुम इस सब मे अपना समय वेस्ट मत करो।

    सही राय!

  4. भाई मन्ने को वो असली वजह चाहिए जिसके चलते ये नकली बहाने गढे जा रहे हैं -मैंने फुरसतिया से बोला और तुमकू भी बोल रिया हूँ !

    Dr.Arvind Mishra’s last blog post..पुरूष नितम्ब -एक पर्यवेक्षण ! (होली विशेष )

  5. Sarkaar jayegi ya bachegi Congress ki, Tanik bataye to?