Tweet लगता है ये हफ़्ता, बचपन की यादें सप्ताह होकर रहेगा। बचपन की यादों मे जब भी गोते लगाओ, काफी मजा आता है। इसी बहाने वर्तमान की परेशानियों से कंही दूर हँसता खिलखिलाता बचपन याद करके हम तरोताजा हो उठते है। सच है कितना अच्छा था अपना बचपन। सभी लोगों की बचपन की कुछ खट्टी […]
जून 25th, 2009 | Posted in आपबीती | 16 Comments
Tweet पिछली पोस्ट मे हमने बात की थी बचपन के खुराफाती शौंक डाक टिकटों के संग्रह की। वैसे तो डाक टिकटों के संग्रह मे अच्छे खासे पैसे खर्च हो चुके थे, लेकिन वो बचपन ही क्या जो नयी नयी चीजें ना ट्राई करे। बस जनाब थोड़े ही दिनो मे हमारा डाकटिकटों से जी ऊब गया। […]
जून 24th, 2009 | Posted in आपबीती | 11 Comments
Tweet हम सभी ने बचपन मे ढेर सारी शरारतें की होंगी, अब चिट्ठाकार है तो निसंदेह बचपन(अभी भी कौन से कम है) मे खुराफाती रहे ही होंगे। नयी नयी चीजें ट्राई करना और नए नए शौंक पालना किसे नही पसन्द? तो आइए जनाब आज बात करते है बचपन के कुछ खुराफाती शौंक की। इसी बहाने […]
जून 24th, 2009 | Posted in आपबीती | 5 Comments
Tweet आजकल पूरे उत्तर भारत मे रामलीलाओं का दौर चल रहा है। हमे भी अपने बचपन की याद हो आयी। पिछली यादों मे हमने आपको मोहल्ले के रावण-दहन की बातें बतायी थी, आइए इस बार हम अपने मोहल्ले की रामलीलाओं की बात करते है। वैसे तो बचपन मे हमे सिर्फ़ मई जून की छुट्टियों वाले महीने […]
अक्तुबर 4th, 2008 | Posted in विविध | 11 Comments
Tweet अब क्या हुआ कि सुबह सुबह ज्ञानबाबू ने अपने अतीत की टाई की यादों को छेड़ा तो हमे भी लगा कि चलो हम भी अपने अतीत मे थोड़ा तांक झांक कर लें। अब यहाँ ब्लॉगर लिखने के लिए विषय का रोना रोते है, उधर ज्ञानबाबू है कि आईडियों की झड़ी लगाए है। तो जनाब […]
सितम्बर 26th, 2008 | Posted in विविध | 10 Comments
Tweet बहुत दिनो से अतुल और शुकुल डन्डा किए थे, पुराने वादे पूरे करो, पुराने लेखों मे जहाँ जहाँ वादा किए हो वहाँ का लिख-लिखाकर अपने वादे पूरे करो। पिछले बार हम जब छत की बात कर रहे थे, तो पतंगबाजी के किस्से छोड़ दिए गए थे, तो जनाब पेश है किस्से पतंगबाजी के। पतंग […]
जनवरी 15th, 2007 | Posted in आपबीती | 12 Comments
Tweet गतांक से आगे चिट्ठी तो हम दे दिए, लेकिन दिल धक धक कर रहा था, पता नही वो क्या सोचेगी? पता नही क्या होगा। रह रहकर हमे चाचाजी के गुस्से का ध्यान आ रहा था, रात भर नींद नही आयी, आयी भी तो सपना बड़ा भयंकर देखा, हमने देखा चाचाजी हमको पंखे के हुक […]
अप्रैल 16th, 2006 | Posted in आपबीती | 9 Comments
Tweet कल धनतेरस थी और आज छोटी दीवाली है, लेकिन हम दीवाली के दिन भी बैठे हुए है आफ़िस मे। अब विदेश मे कहाँ वो दीवाली और कहाँ वो होली, रक्षा बंधन और दशहरा तो इनके फ़रिशतों को भी नही पता होगा। तो जनाब बात हो रही थी, दीवाली की। अभी पिछले दिनो अपने ईस्वामी […]
अक्तुबर 31st, 2005 | Posted in आपबीती | 9 Comments
Tweet आइये हम आपको नहाने की महत्ता बतायें, नहाने की बात पर याद आया, कि अभी पिछले दिनो अपने ठेलुआ जी, गूगल टाक पर चहक गये, इनके बारे मे मशहूर है कि ये बहुत आलसी इन्सान है, ये मै नही फुरसतिया जी कहते है, (ठेलुआ जी आपको जो भी गालिया लानते भेजनी हो वो फुरसतिया […]
अक्तुबर 10th, 2005 | Posted in आपबीती | 6 Comments
Tweet देश मे दशहरे के समापन के साथ साथ रामलीलाओ का दौर भी समाप्त हो गया, लेकिन कल ही हमे टीवी पर रामलीला की एक झलक देखने को मिली, पुरानी यादे फिर ताजा हो गयी…. कि कैसे हम लोग रामलीला के शुरू होने का इन्तजार करते थे.. रामलीला वाले सात बजे पहुँचते थे, लेकिन हम […]
अक्तुबर 24th, 2004 | Posted in Uncategorized | 6 Comments