Archive for दिसम्बर, 2004

टप्पेबाजी और पुलिस का व्यवहार

Tweet आप लोग पूछेंगे ये टप्पेबाजी क्या होती है? टप्पेबाजी एक कला है कि जिसमे लोग बातो बातो मे आपकी जेब से पैसे गायब कर लेते है, और आपको हवा तक नही लगती….यह कला कानपुर मे फली फूली और विकसित हुई, और अब पूरे देश मे अपनी जड़े फैला रही है.विश्वास नही आता ना… आइये […]

Testing Blog

Tweet This is my first Testing blog on Word press….

Hello world!

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मिर्जा की फरमाइश

Tweet ‍हमारे मिर्जा साहब की स्पेशल फरमाइशो पर इन्हे भी देखियें….. मै रोया परदेस मे भीगा मां का प्यार दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार छोटा करके देखिये जीवन का विस्तार आंखो भर आकाश है बाहों भर संसार –निदा फाजली पूरा यहाँ पढिये http://www.geocities.com/sumankghai/nida22.html नज्म उलझी हुई है सीने मे मिसरे […]

यादें

Tweet कल रात को कुवैत मे काफी बारिश हुई थी….नींद खुल गयी,तो अचानक मेरे को गुलजार साहब की यह नज्म याद आयी शाम से आंख मे नमी सी है आज फिर आप की कमी सी है दफन कर दो हमे कि सांस मिले नब्ज कुछ देर से थमी सी है वक्त रहता नही कहीं छुपकर […]