Archive for 2009
Tweet सभी लोगों ने चैन की सांस ली है कि चुनावों का शोर कुछ थम गया है। १३ मई को आखिरी मतदान होने के साथ ही, सबकुछ सामान्य सा दिखने लगा। हमे याद आ रहा है कि कानपुर मे एक प्रत्याशी हुआ करते थे (थे नही है भाई) भगवती प्रसाद दीक्षित। लोग इनको घोड़ेवाला दीक्षित […]
मई 14th, 2009 | Posted in विविध | 11 Comments
Tweet बहुत दिनो से कोई खेला नही खेला था, टैगिंग भी बन्द है, ब्लॉगिंग तो बहुत दूर हो गयी। तो आजकल हम कर क्या रहे है? अरे भई, ऑफिस के काम से थोड़ा समय मिलता है तो कभी कभी माइक्रो ब्लॉगिंग (एक लाइना) कर लेते है। आपको देखना है तो इधर देख लेना, भाषा की […]
अप्रैल 30th, 2009 | Posted in विविध | 12 Comments
Tweet सभी पाठको से बहुत दिनो बाद मुखातिब हुआ हूँ। आज बाराहा का नया संस्करण (बाराहा यूनिकोड 2.0) डाउनलोड किया। जैसे कि आप सभी को पता ही है, मै हिन्दी मे लिखने के लिए बाराहा का ही प्रयोग करता हूँ। पिछले संस्करण मे थोड़ी मेमोरी की समस्या होती थी, अक्सर कुछ वाक्य लिखने के बाद,अगले […]
अप्रैल 3rd, 2009 | Posted in विविध | 22 Comments
Tweet सचमुच काफी दिनो बाद कुछ कुछ रिलेक्स महसूस कर रहा हूँ। आज अपनी मर्जी से दस बजे के बाद उठा, सब कुछ अच्छा अच्छा सा लग रहा है। इतने दिनो मे तो मै देर से उठना ही भूल गया था। इन सभी बदलावों का कारण ये है कि मुझे अपनी वार्षिक छुट्टियों के बचे […]
मार्च 22nd, 2009 | Posted in विविध | 7 Comments
Tweet कल ही पता चला कि स्लमडॉग को ऑस्कर पुरस्कार मिले है, वो भी एक दो नही पूरे पूरे आठ। हमको तो पूरी फिल्म देखने के बाद भी समझ मे नही आया कि इसमे ऑस्कर के लायक क्या था। यदि हिन्दुस्तान की गरीबी ही फिल्म की गुणवत्ता को मापने का पैमाना है तो ठीक है, […]
फरवरी 24th, 2009 | Posted in विविध | 12 Comments
पिछले बहानेबाजी वाली पोस्ट लिखी तो मिर्जा ने एक बैठक रखी और सारे बहानों का पोस्टमार्टम किया है।सो इसे देखा जाए और भरपूर मजा लिया जाए इस पोस्टमार्टम पोस्ट का।
फरवरी 23rd, 2009 | Posted in विविध | 5 Comments
Tweet अक्सर देखते है कि सक्रिय से सक्रिय ब्लॉगर भी कभी कभी ब्लॉगिंग से दूर हो जाते है। दूर क्या होते है जनाब एकदम विरक्ति की स्थिति को प्राप्त हो जाते है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि कभी ऐसे ब्लॉगरों से उनके ब्लॉगर मित्र जब चैट पर, उनकी असक्रियता की वजह पूछते […]
फरवरी 8th, 2009 | Posted in विविध | 35 Comments
Tweet कहते है, कभी कभी कोई गीत, सुबह सुबह आप सुन ले तो वो गीत आपके जहन पर पूरा दिन रहता है। आप सारा दिन वो गीत, गाते गुनगुनाते रहते है। लेकिन उन गीतों का क्या, जो आप एक बार सुन लें उनकी छाप काफी दिनों आपके जहन से नही हटती। आइए ऐसे ही एक […]
जनवरी 8th, 2009 | Posted in विविध | 14 Comments
Tweet क्या आप हिन्दी ब्लॉगिंग करते है? क्या आप नियमित/अनियमित रुप से हिन्दी ब्लॉग पढते है? क्या आप इंटरनैट पर हिन्दी के बढते कदमों से प्रभावित है? यदि इन सवालों के जवाब हाँ है तो आगे पढिए। हिन्दी ब्लॉगिंग (चिट्ठाकारी) को शुरु हुए लगभग पाँच वर्ष होने को आ रहे है। इस सफर मे हिन्दी […]
जनवरी 6th, 2009 | Posted in विविध | 5 Comments