Archive for the 'आपबीती' Category
Tweet आज दिल व्यथित है, बहुत ज्यादा। कुछ चिट्ठेकारों द्वारा नारद संचालकों की निन्दा किए जाने और अनर्गल आरोप लगाने के बाद और कुछ लोगों द्वारा उसको बढावा दिए जाने के बाद। आज मै आत्मचिन्तन करने पर मजबूर हो गया हूँ, कि आखिर हम इतना सब किसके लिए कर रहे है, ऐसे लोगों के लिए, […]
अप्रैल 25th, 2007 | Posted in आपबीती | 50 Comments
Tweet अब रचना ने जब लिखने के लिए फँसा ही दिया है, तो हम भी लिख ही डाले, कंही ऐसा ना हो कि हमे फाँसने के लिए मुर्गे सॉरी ब्लॉगर ही ना मिलें। इसके पहले हम आपको जीतू जी से जीतू भाई बनने की कहानी बता ही दें। थोड़ा अतीत मे चलते है, ब्लॉगिंग जब […]
फरवरी 20th, 2007 | Posted in आपबीती | 18 Comments
Tweet हमारा हिन्दी चिट्ठाकारों का परिवार सचमुच एक भरे पूरे परिवार की तरह है। ब्लॉग लिखते लिखते हम कब एक दूसरे को अपने घर का सदस्य बनाते चले जाते है पता ही नही चलता। ऐसा ही हुआ कुछ हमारे साथ। हमारी एक चिट्ठा जगत की नवोदित चिट्ठाकारा ने हमे एक बहुत प्यारी कविता भेजी है। […]
फरवरी 15th, 2007 | Posted in आपबीती | 24 Comments
Tweet अमां यार! ये भी कोई बात है। अभी भोला के ब्लॉग पर टिप्पणी करने गया, वहाँ बोला गया कि गूगल वाले एकाउन्ट से लागिन करो, हमने कर दिया, वो हमारी टिप्पणी तो खा गया, उल्टा हमको ब्लॉगर का डैशबोर्ड दिखाने लगा (उसी टिप्पणी वाले छोटे बक्से में) अमा अगर हमको अपने ब्लॉग पर लिखना […]
फरवरी 11th, 2007 | Posted in आपबीती | 6 Comments
Tweet बहुत दिनो से अतुल और शुकुल डन्डा किए थे, पुराने वादे पूरे करो, पुराने लेखों मे जहाँ जहाँ वादा किए हो वहाँ का लिख-लिखाकर अपने वादे पूरे करो। पिछले बार हम जब छत की बात कर रहे थे, तो पतंगबाजी के किस्से छोड़ दिए गए थे, तो जनाब पेश है किस्से पतंगबाजी के। पतंग […]
जनवरी 15th, 2007 | Posted in आपबीती | 12 Comments
Tweet अरे! ये क्या? ये तो पूरा का पूरा साल ऐसे सरक गया जैसे घूस की मोटी रकम, नेताओं के जेब मे सरक जाती है। अभी कुछ समय पहले ही तो ये साल शुरु हुआ था। साल 2006 की शुरुवात अच्छी नही हुई थी, क्योंकि दिसम्बर 2005 मे ही पिताजी का इन्तकाल हुआ था, इसलिए […]
दिसम्बर 28th, 2006 | Posted in आपबीती | 3 Comments
Tweet मुझ पर अक्सर अंगुलियाँ उठायी जाती है कि चौधरी साहब अक्सर अतीत की यादों मे खोए रहते है, अक्सर नॉस्टलजियाते रहते है। हमेशा मोहल्ला पुराण झिलाए रहते है। अरे भई, इस उमर मे पहुँचने के बाद हम रोमांटिक बाते तो करेंगे नही,बच्चों को ज्ञान देते है तो हाय तौबा मच जाती है। फिर हम […]
दिसम्बर 3rd, 2006 | Posted in आपबीती | 3 Comments
Tweet अभी प्रत्यक्षा जी का छुट्टी का विवरण पढा, ना जाने क्यों हमे उनका विवरण पढकर अपने घर का छुट्टी का माहौल याद आ गया। तो जनाब एक नजर डालिए हमारे विवरण पर: जहाँ सारी दुनिया रविवार को चैन से छुट्टी मनाती है, वही हम रविवार को आफिस मे कीबोर्ड पर टिकटिक किया करते है। […]
अगस्त 28th, 2006 | Posted in आपबीती | 11 Comments
Tweet अभी पिछले दिनो जब मै भारत यात्रा पर था तो टेलीमार्केटिंग वालों ने नाक मे दम कर दी थी। ये हालत हो गयी थी कि मोबाइल पर अजनबी नम्बर देखकर बात करने की इच्छा नही होती थी। कभी एयरटेल वालों से तो कभी सिटीबैंक वालों से कभी कोई कम्पनी कभी कोई और कम्पनी। बिलावजह […]
अगस्त 23rd, 2006 | Posted in आपबीती | 21 Comments
Tweet कहते है दुनिया गोल है, अरे कहते क्या है हमने तो दुनिया देखी भी है और झेली भी है।सब गोल मोल है।अब आप सोचेंगे कि इस बन्दे को खांमखा मे यहाँ पर भूगोल का पाठ पढाने की आवश्यकता क्या आन पड़ी, जब भूगोल पढना था, तब तो सुक्खी के साथ क्लास गोल करके गिल्ली […]
अगस्त 9th, 2006 | Posted in आपबीती | 10 Comments