टूटना हाथ काः भाग दो

गतांक से आगे

अब जनाब हमने कालबैल पुश तो कर दी,लेकिन हमे पक्का पता था कि मिर्जा ढेर सारी गालियाँ जरूर देंगे, भले बाद मे हमे देखकर माफी मांग ले. वही हुआ, मिर्जा ने अपने लखनवी अन्दाज मे पहले तो छुट्टन को गरियाया और दरवाजा खोलने को बोला, अब छुटटन जगा हुआ होता तो ही दरवाजा खोलता ना, मिर्जा ने उसे ढेर सारी गालियाँ दी और दरवाजा खोला और हमको देखते ही माफी मांग ली.मिर्जा को मामला समझाया गया और उनको क्रिकेट खेलने के लिये राजी किया गया, मिर्जा ने कुछ शर्ते रखी कि वो दौड़ेंगे नही ‌और विकिट कीपिंग करेंगे, जब तक चाहेंगे बैटिंग करते रहेंगे और किसी भी प्रकार का चन्दा नही देंगे. हम लोग एग्री हो गये, और मिर्जा को लेकर ग्राउन्ड पर पहुँच गये.

खेल शुरु हुआ, और जैसा कि अक्सर होता है कई साल बाद बालिंग करने की वजह से बाल विकिट पर जा ही नही पा
रही थी.सारी बाले इधर उधर जा रही थी. ये प्रेक्टिस मैच था तो सिलसिलेवार सबको खेलना था, पहली बारी मेरी थी, लोगो को बाहर जाती गेंदो की बदौलत मै आखिर तक आउट नही हुआ, बस आखिरी ओवर मे हमसे जबरदस्ती बैट छीना गया और पहले दिन का खेल सुख शान्ति पूर्वक समाप्त हुआ.हालांकि मिर्जा को इस बात से परेशानी थी कि उनको दो बार मे ही आउट क्यो मान लिया गया, तीसरी बार बैटिंग क्यो नही दी गयी.

अगले जुमे को प्रेक्टिस मैच फिर शुरु हुआ, इस बार हम उतने लकी नही थे,हमारी बारी सांतवी थी इस बार. सो हमको भी लगा दिया गया फील्डिंग करने के लिये. दूसरा या तीसरा ओवर चल रहा था, बैट्समैन ने एक अच्छी बाल पर बल्ला लगा दिया तो बाल मिड आफ और कवर के बीच की तरफ उछली, हम डीप मिड आफ से दौड़ते हुए बाल के नीचे पहुँच तो गये, जरा सा गैप दिखा तो हमने मोहम्मद कैफ की तरह जम्प मार दी, बस यंही गलती हो गयी, हम बाल के लगभग नीचे तो आ गये लेकिन जूतो ने धोखा दे दिया, पैर स्लिप कर गया और हम दांये हाथ के बल पलटी खा गये, और जबरदस्त चोट खा बैठे,बाल आकर पीठ पर लगी सो अलग से, कैच लेना तो बहुत दूर की बात थी.भाई लोगो ने तालियाँ बजानी शुरु कर दी, शायद जानते थे कि चोट तो पक्का लगी है अब इज्जत की बात थी, हम उठ तो गये, दांये हाथ मे हल्की सी खंरोच दिखी उसको तुरन्त इग्नोर मारा गया और बाकायदा खेलने की कोशिश की गयी, अगला ओवर हमे ही करना था, सो पहली बाल फेंकते ही हमे एहसास हो गया है कि दांये हाथ मे कोई अन्दरूनी चोट लग गयी है, क्योंकि हाथ पूरा घुमाने कर बाल को रिलीज करने मे बहुत पीड़ा हो रही थी. सो तुरन्त ओवर को स्थगित करके हम फर्स्ट एड किट की तरफ भागे और आयोडक्स का स्प्रे लगाया और हाथ को रूमाल से बांधा गया.अब दर्द बढने लगा था सो उस दिन हमने आगे ना खेलने का फैसला किया गया, लौटने मे भी हालत ऐसी थी कि गाड़ी का स्टेयरिंग नही पकड़ा जा रहा था, किसी तरह से घर पहुँचे और पत्नी जी से छिपते छिपाते पेन किलर गटक ली, और वो दिन किसी तरह से पार किया.लेकिन सुबह सुबह नामुराद छुट्टन ने अपनी वफादारी दिखाते हुए फोन पर श्रीमती जी से पूरा किस्सा बयान करते हुए मेरे हाथ का हालचाल पूछ लिया, बस तब से हम श्रीमती जी का भाषण सुन रहे है.हमको तुरन्त क्लीनिक जाने की हिदायत दी गयी. अब क्लीनिक का भी हाल सुनिये, वहाँ पर एक इजीप्शियन डाक्टर ने पूछ लिया कि क्यो भाई, कल कोई खास दिन था क्या …..क्रिकेट खेलने और घायल होने का, कल से आज तक पाँच केस आ चुके है, किसी का हाथ का पंगा हुआ, किसी के पैर का, वगैरहा वगैरहा.हम चुप रहे और डाक्टर भी शायद थोड़ा फ्री था, उसने हमे “सुरक्षित क्रिकेट कैसे खेलें?” पर लम्बा चौड़ा लैक्चर सुना, हम चुपचाप अच्छे बच्चे की तरह सुनते रहे. अब हम क्या बोलते, वैसे भी डाक्टर से ज्यादा बहस नही करनी चाहिये.

डाक्टर ने एक्सरे वगैरहा निकाल कर और हाथ को हर तरह से घुमा फिराकर ऐलान किया कि हड्डी तो ठीक दिख रही है, और डिसलोकेशन का भी चान्स नही है, बस कुछ मोच वगैरहा आयी है, वो दो चार दिन मे ठीक हो जायेगी.ये सुनकर हमे कुछ राहत मिली,साथ ही डाक्टर ने तीन चार हफ्ते तक क्रिकेट के मैदान मे जाने से मना भी कर दिया. अब डाक्टर ने जब बताया कि कौनो फ्रेक्चर नही है तो हम बड़े खुश हुए, इसलिये नही कि चोट नही लगी, बल्कि इसलिये कि अब हमे श्रीमतीजी से ज्यादा नही सुनना पड़ेगा,नही तो हड्डी टूटने से ज्यादा दर्द तो श्रीमती जी के भाषण से होता. वैसे अभी भी कोई कम नही सुनना पड़ेगा. तो भइया हम जाते है भाषण सुनने आप लोग भी निकलिये अपने काम पर. अब अगले कुछ फ्राइडे तो बिना क्रिकेट के ही कटेंगे.

3 Responses to “टूटना हाथ काः भाग दो”

  1. जीतू भाई

    हम तो आपके असली मैच टूर्नामेंट का ईंतजार कर रहे हैं| देखते हैं मिर्जा साहब एक बार में ही आउट करार दिये जाने पर कैसे विपक्षियों पर पिल पड़ते हैं? आप का यह अँदाजे बयाँ सुपरहिट है| हमको भी बचपन के फुटबाल खेल का मैदान और मुन्ना कबाड़ी याद आ गया|

  2. लिखने कि खसलत इन्सान से जो करवालें वो कम है. हाथ मे जरा सी मोच आई है ५०० सब्दों का संस्मरण लिख मारा वो भी बाकायदा सनसनीखेज गलत शीर्षक के साथ “टूटना हाथ का” – हाथ दुख रहा हो तो बंदे को यूं ही आलस आ जये! खोदा पहाड “निलकी” चुहिया, धन्य हो महराज! 🙂

  3. जीतू भाई, “लगान” के “कचरा” से इन्सपिरेसन लिया जाय और मैदान में फिर कूदा जाय। वैसे भी, जैसे स्वामी जी कह रहे हैं, जब माउस-कीबोर्ड पर हाथ चल रहा है तो गेंद बल्ले के साथ सौतेला व्यवहार क्यों?