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Tweet अभी पिछले दिनो जब मै भारत यात्रा पर था तो टेलीमार्केटिंग वालों ने नाक मे दम कर दी थी। ये हालत हो गयी थी कि मोबाइल पर अजनबी नम्बर देखकर बात करने की इच्छा नही होती थी। कभी एयरटेल वालों से तो कभी सिटीबैंक वालों से कभी कोई कम्पनी कभी कोई और कम्पनी। बिलावजह […]
अगस्त 23rd, 2006 | Posted in आपबीती | 21 Comments
Tweet क्या आप अपनी नौकरी से परेशान है? क्या बास ने आपको तंग कर रखा है? क्या घर पर बीबी ने जीना हराम कर रखा है? क्या इस प्रेमिका ने भी लात मार दी है? क्या रुपए पैसे इत्ते आ गए है कि सम्भालना मुश्किल हो रहा है? क्या खाली समय काटे नही कट रहा […]
अगस्त 17th, 2006 | Posted in Uncategorized | 3 Comments
Tweet अक्सर हम बालीवुड की फिल्मे देखते है। डायलाग इतने पकाऊ होते है कि पूछो मत।लेकिन आजकल ये डायलाग दिखते ही नही। जो जनाब पेश है बेशकीमती( जो चीज सप्लाई मे कम हो जाती है वो बेशकीमती हो जाती है) और अपने जमाने के पकाऊ डायलाग। और हाँ साथ मे मैने अपनी कमेन्टस भी डालने […]
मार्च 21st, 2006 | Posted in Uncategorized | 5 Comments
Tweet अमां ये फिल्म का टाइटिल नही है, ये तो खुराना साहब का तकिया कलाम होना चाहिये। कौन खुराना अरे वही मदन लाल खुराना, जिनको बीजेपी ने दिल्ली से दूर रखने की भरसक कोशिश की, और राजस्थान का राज्यपाल बनाकर भेजा, वहाँ भी खुराफात करके, वसुन्धरा राजे की नाक मे दम कर दिए थे, वही […]
मार्च 20th, 2006 | Posted in Uncategorized | Comments Off on हम नही सुधरेंगे।
Tweet काका हाथरसी, हिन्दी हास्य व्यंग कविताओं के पर्याय है। वे आज हमारे बीच नही है, लेकिन उनकी हास्य कविताए जिन्हे वे फुलझडियां कहा करते थे, सदैव हमे गुदगुदाती रहेंगी। होली के मौके पर पेश है उनके द्वारा लिखी गयी एक कविता, जो मुझे बहुत अच्छी लगती है।काका की इस कविता से हम होली के […]
मार्च 8th, 2006 | Posted in Uncategorized | 2 Comments
Tweet हमारा उद्देश्य तो पाठकों को पकड़ पकड़ कर ब्लॉग पढवाना होना चाहिये, इस पर तो मै पहले ही बता चुका हूँ।ब्लॉगर के जीवन चक्र पर भी चर्चा कर चुके है। अपने ब्लॉग मे क्या क्या लिखना चाहिए वो भी बता चुका हूँ। टिप्पणी के महत्व पर भी सन्तो ने अपनी राय दी है।आइये अब […]
मार्च 8th, 2006 | Posted in Uncategorized | 7 Comments
Tweet सबसे पहले तो एक डिसक्लेमर: यह एक काल्पनिक लेख है, इसका उद्देश्य लोगों को हँसाना है, ना कि किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना। इसलिये कोई चप्पल जूता लेकर हमारे द्वारे ना आये। और एक आवश्यक सूचना यदि इस डिसक्लेमर के बावजूद आप आवेश मे आकर अपने चप्पल हमारी तरफ़ फ़ेंक कर मारे […]
जनवरी 19th, 2006 | Posted in Uncategorized | 5 Comments
Tweet आई भी दीवाली और गयी भी दीवाली, लेकिन छोड़ गयी आपके पास ढेर सारे तोहफ़े। जो आपको अपने दोस्तो यारों और रिश्तेदारों ने दिये होंगे। क्योंकि दीपावली त्योहार ही खुशियां बाँटने का है।लेकिन पता नही क्यों लोग खुशिया गिफ़्ट मे लपेटकर दे जाते है।ये तोहफ़े कई बार खुशियां देने के साथ साथ बहुत सारी […]
नवम्बर 8th, 2005 | Posted in Uncategorized | 1 Comment
Tweet जब से बिपाशा बसु ने बोला है कि पाँच साल बाद फ़िल्मे छोड़ दूंगी तब से अपने छुट्ट्न मिंया को ना दिन मे चैन है ना रातो को नींद। अब उन्होने खाना पीना छोड़ दिया है(बनाना नही)। अब तो इनके सर पर एक ही भूत सवार है कि विपाशा बसु के दीदार करने है।छुट्टन […]
अक्तुबर 22nd, 2005 | Posted in Uncategorized | 3 Comments
Tweet अब इसे ही ले, निशा जी ने दिल्ली से कुछ गड़बड़झाला शायरी भेजी है। अब मै अकेले क्यों झेलूँ, आप भी झेलिये: तुमको देखा तो ये ख्याल आया पागलों के स्टाक में नया माल आया अब इसे भी मुलाहिजा फ़रमाइये इधर खुदा है, उधर खुदा है जिधर देखो, उधर खुदा है इधर उधर बस […]
अक्तुबर 20th, 2005 | Posted in Uncategorized | 26 Comments