तेरी ’यारी’ ने डुबोया हमें

अब आप भी कहेंगे कि हम किसकी यारी मे डूब गए, तो जनाब इसके लिए आपको थोड़ा अतीत मे जाना होगा, कित्ता? ज्यादा नही भाई, दो तीन हफ़्ते पीछे। हुआ यूं कि हम अपने गूगल मेल पर अपनी इमेल चैक कर रहे थे, तभी फटाक से एक मैसेज इनबाक्स मे टपक गया, उसका विषय था ’ xxxxxxxx is your YAAR’ ( यहाँ पर xxxxx को अपने बेस्ट फ्रेन्ड से बदल लें) मैसेज भी उस बन्दे के इमेल से आया था, बात भी सही थी, यार है तो है, उसमे छिपाना क्या। लेकिन हमको ये डाउट हुआ कि ये बन्दा इस सत्य-गीत को गा काहे रहा है? बन्दा चैट पर मौजूद था, हमने पूछ लिया कि भई ये यारी प्रदर्शन काहे कर रहे हो, वो चौंका, बोला हमने तो कोई इमेल नही की है। अब हम सतर्क हुए। हमने पायी हुई इमेल को, बन्दे को फारवर्ड किया तो पता चला कि ये जनाब एक साइट के झांसे मे आए थे, और अपनी इमेल की एड्रेसबुक न्योछावर कर आए थे। बस वही से धकापेल इमेल आ रही थी।

इसका मतलब था कि ये जनाब इन्टरनैट की साइट के चंगुल मे फंसकर, अपने दोस्तों की प्राइवेसी दांव पर लगाए आए थे। ऐसा ही किस्सा हुआ था चिट्ठाकार इमेल ग्रुप पर, जहाँ श्रीश भाई ऐसे किसी चक्कर मे फंस गए थे और देबाशीष उनको लगभग बैन कर रहे थे। इसलिए इस पोस्ट को लिखने का मन हुआ, ताकि बाकी लोग भी इससे लाभान्वित हो। अब श्रीश जैसे ईपंडित इस जाल मे फंस गए तो बाकी तो सभी सामान्य बन्धु है, आइए हम आपको बताते है इस तरह की साइटें आपको कैसे फंसाती है:

इसमे कोई शक नही कि इंसान एक सामाजिक प्राणी है, इन्टरनैट मिलन का ही दूसरा नाम है। सामाजिक प्राणी को किसी सामाजिक समूह(सोशल नैटवर्क) का हिस्सा होना ही चाहिए। जरुर होना चाहिए प्रभु। हमारे कई चिट्ठाकार मित्रों को भी इसका शौंक है, अपने अपने ग्रुप बनाए है, कई कई सोशल नैटवर्किंग साइट पर। इसमे कोई दिक्कत नही। लेकिन कुछ लोग और इन्नोवेटिव है, वे नयी नयी सोशल नैटवर्किंग साइट पर जाते है वहाँ पर रजिस्टर कराते है और दन्न से उस साइट पर विश्वास कर लेते है। भैए ये इन्टरनैट है, अच्छे बुरे हर तरह के लोग मिलते है। आपकी सबसे बड़ी पूंजी होती है आपकी विश्वसनीयता। अगर आप ऐरी गैरी साइट पर जाएंगे और अपने हर दोस्त (जो आपकी एड्रेसबुक मे है) को उस साइट पर रजिस्टर करने की सलाह देंगे तो दन्न से आप स्पैमर कहलाए जाएंगे। लोग आपकी इमेल को स्पैम मे डाल देंगे, हो सकता है भविष्य मे आपकी जरुरी इमेल/मैसेज भी उस बन्दे तक ना पहुँच सके। इसलिए किसी भी ऐरी गैरी साइट पर अपने लागिन और पासवर्ड मत दें।

बात यारी की
एक साइट है यारी डाट काम या नैट (मै यहाँ लिंक नही दूंगा), इस साइट पर रजिस्टर करते ही ये आपसे बड़े प्यार से पूछता है , कि क्या आप अपने मित्रों को भी इस साइट पर देखना चाहेंगे (बन्दा बोलता है हाँ) साइट का अगला सवाल होता है, ” तो क्या आप अपने याहू/जीमेल/हाटमेल के एकाउन्ट से इस साइट के लिंक पर लागिन करेंगे? ताकि हम आटोमेटिक तरीके से उन्हे निमंत्रण भेज सके। (बस यही एक भूल हो जाती है बन्दे से)। ये साइट आपसे आपकी लागिन आईडी और पासवर्ड ले लेते है, और तुरन्त ही सारे एड्रेसबुक की कापी अपने सर्वर पर डाल देते है। जब तक आप इस यारी डाट काम को देखें समझे, तब तक आपके नाम से इमेल आपके सारे एड्रेसबुक वालो को पहुँच जाती है, अब भले ही आपके एड्रेसबुक मे कल्लू धोबी हो, आपका घोर विरोधी, सुन्दर महिला सहकर्मी या अपका बॉस या फिर आपका प्रोसपेक्टिव क्लाइन्ट। इमेल गयी तो गयी। भले ही इमेल पाकर आपका बॉस आपको तलब करे कि ये सब करते रहते हो, कल्लू धोबी गर्व से सोचे कि, चलो एक तो यार और बढा या सुन्दर महिला सहकर्मी आपकी ओर से नज़रे फेर ले या फिर आपका प्रोस्पेक्टिव क्लाइन्ट आपको ब्लैकलिस्ट कर दे। ध्यान रखिएगा ये सब आपकी जानकारी के बिना हो रहा है।

उधर जिस बन्दे को आपकी इमेल आयी वो भी क्लिक किया नही तो उससे भी यही सब प्यार से पूछा जाएगा और वो भी फंसता जाएगा, इस तरह से आपके एड्रेसबुक के सारे बन्दे फंस गए, वो भी सिर्फ़ आपकी वजह से। दूसरे शब्दों मे कहा जाए कि आपने अपने एड्रेसबुक को अपनी नासमझी के कारण, स्पैमर्स के हाथों बेंच दिया। बेचा क्या जी भेंट कर दिया। स्पैमर्स को क्या चाहिए? कुछ इमेल पते, फिर आप जैसी महान आत्माएं हों तो उनको क्या कमी। है कि नही। अब आप कहेंगे गलती से मिस्टेक हो गया, लेकिन भाया ये गलती नही है, ब्लंडर है। आपकी इमेल मे सभी सूचनाएं होती है, आपके बैंक खातों की, आपके प्रेमपत्र, आपकी व्यवसायिक इमेल, क्रेडिट कार्ड डिटेल सभी कुछ। अगर स्पैमर चाहता तो वो सब भी गुपचुप जानकारी निकाल लेता, या कहो निकाल ही ना ली हो। फिर आप क्या करेंगे? आपके एकाउन्ट का सारा पैसे (१ रु छोड़कर) अगर जाम्बिया मे ट्रांसफर हो जाए तो आप क्या करेंगे? बैंक से लड़ते रहिएगा, और जाम्बिया से पैसा कंही और ट्रास्फ़र होकर एकाउन्ट भी क्लोज हो जाएगा, तब? या फिर आपके क्रेडिट कार्ड( आपकी खूनपसीने की गाढी कमाई से) किसी ने हीरो का हार खरीद लिया हो तब? फिर बैठे रहिएगा और कहते रहिएगा तेरी ’यारी’ ने डुबोया हमें।

ऐसा नही कि उपरोक्त केस मे उस साइट की गलती नही, उस साइट को आपकी एड्रेसबुक के सारे पतो पर इमेल करने का कोई हक नही, लेकिन भाई दूसरे को कहने से पहले अपनी गलती सुधारो, किसी को जानकारी मत दो। इसलिए हमेशा ये चीज ध्यान रखिए:

  1. अव्वल तो किसी भी ऐरी गैरी साइट पर टहलिए मत, साइटएडवाइजर से उसके बारे मे पहले पता कर लें।
  2. अगर ऐसी साइट पर चले भी गए, तो रजिस्टर मत होईए।
  3. अगर रजिस्टर हो भी गए, अपनी इमेल आईडी और पासवर्ड कतई मत दीजिए।
  4. कोई भी गोपनीय सूचना ऐसी साइट पर मत दीजिए।
  5. अगर ये सब दे भी दिए है, तो फिर लुटने के लिए तैयार हो जाइए। आपने स्वयं ही तो अपनी शामत बुलवायी है।

अब आप क्या करें?
यदि आप ऐसी किसी जगह पर अपने लागिन पासवर्ड लुटा आएं तो तुरन्त अपना इमेल का पासवर्ड बदल लें। सबसे पहले अपने एड्रेसबुक वाले साथियों से हुई असुविधा के लिए (व्यक्तिगत रुप से) माफी मांगे, उस साइट के बारे मे लोगों को आगाह करें और साथ ही भविष्य मे ऐसी किसी भी साइट पर अपना यूजर और पासवर्ड ना देने की कसम खांए। हमारा काम था आपको जानकारी देना और आगाह करना, आगे आपकी मर्जी।

एक और बात, कई लोग अपनी नयी पोस्ट के बारे मे इमेल के जरिए सूचना देते, है वो लोग हमारे यहाँ स्पैमर लिस्ट मे डाल दिए गए है, ऐसा कई कई वार्निंग के बाद किया गया है। आशा है ऐसे लोगो को दूसरी जगह भी समान ट्रीटमेन्ट यानि ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।

आपका क्या कहना है इस बारे में?

24 Responses to “तेरी ’यारी’ ने डुबोया हमें”

  1. श्रीश और प्रियंकर मुझे भी बहुत बार यार बनाने का यत्न कर चुके. औरों के भी मेल आये शायद. सभी डिलीट करते अपराधबोध सा था. अच्छा किया. वह अपराध बोध आपने धो डाला.

  2. श्रीश महोदय की मेल तो मुझे भी आई थी और मैं तो हतप्रभ था, परंतु वो स्पैम की सूची में थी इसलिए उसे छेड़ा नहीं। अब तो सारी बात साफ है। साइटएडवाइजर का उपयोग किए जाने के बारे में अधिक बताएँ तो हम जैसों के लिए बेहतर होगा।

  3. आप सहि फरमा रहे है,मुझे भी श्रीश जी, और शायद अमित जी का निमंत्रण मिल चुका है यार बनाने के लिए।अभी तक हमने फैसला नही लिया था…आपने चेता दिया…आप का धन्यवाद।

  4. आपने सही कहा, बाद में कहेंगे सब कुछ लूटा के होश में आए। जंजीर फिल्‍म में एक गाने के बोल हैं…यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी…। यार के आते ही महफिल में रवानी आ गई…आदि आदि। लेकिन अब के यार तो लूटने में लगे हैं जीतू भाई। बेहतर लेखन।

  5. ये यारी के दुखी तो हम भी हैं.. पता नही कितनो को दुख भी दिए हमने यारी कर कर के.

    अंत मे बुद्धि आई और अपना एकाउंट डिलीट कर आए. 🙂

  6. जीतू भाई!
    ‘यारी’ नाम से तो लगता है,कोई भारतीय चला रहा है इसे। किन्तु क्या ऐसी ठग साइटों को बैन करने का कोई उपाय नहीं? इण्टरनेट क्राइम कानूनों के दायरे में क्या इनके विरुद्ध कोई शिकायत दर्ज नहीं की जा सकती? क्या उनका डोमेन नेम कैन्सल नहीं कराया जा सकता?

    और फिर, अक्सर ऐसे ई-मेल आते हैं, जिनमें ‘अमुक’ देश का ‘अमुक’ व्यक्ति भारी मात्रा में राशि को आपके देश, आपके खाते में स्थानान्तरित कर उपयोग करने के लिए 20 प्रतिशत देने का प्रलोभन देता है, ये भी जरूर कोई महाठग ही होंगे। इस बारे में भी कुछ ज्ञान प्रदान करें।

  7. ही ही सही कहा आपने… मेरे पास भी इस तरह के निमंत्रण आये थे… मुझे याद नही की मैने रजिस्टर कराया है कि नही… अगर मेरी वजह से किसी को परेशानी हूई हो तो माफी चाहती हूँ।
    बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने शुक्रिया।

    हरिराम जी पूरा ठगगिरी का ही धन्धा है.. कभी ऐसे मेल को जवाब भेजकर दिखिये.. अगले पल मे समझ मे आ जायेग कि माजरा क्या है… मै हर बार जवाब देती हूँ… हाँ जो पता काम के लिये सक्रिय है उससे नही दुसरे से… बहुत मजा आता है… एक से बढकर एक कहानी मिलेगी… हाँ जवाब देते वक्त एक बात का ध्यान रखियेगा कि… उनके किसी भी बात को मत मानियेगा सिर्फ खेल खेल के लिये जवाब दिजियेगा, और वास्त्विक परिचय पता भी मत दिजियेगा 🙂

  8. बहुत ही मजेदार तरीके से समझाया आपने 🙂

    हमें तो बस एक मेल मिला पर अब श्रीश का सारा पैसा तो गया जिम्बाबवे 🙂

  9. धत तेरे की!!!

    सारे अरमानों पर पानी फेर दिया. हमारे पास तो यारी का इतना बेहतरीन ऑफर आया था, जीवन में पहली बार. उस दिन से भरोसा हो गया था कि भगवान के घर देर है, अँधेर नहीं है.

    अभी कल ही मंगलवार को हनुमान जी इस मेहरबानी के लिये लड्डू चढ़ा आये. एक गज़ल लगभग तैयार थी, जो कि हम यारी की यारी में लिख कर उसका ऑफर स्विकारने वाले थे और आप चले आये.

    यार, कभी कुछ अच्छा भी करोगे कि हरदम मटियाते ही रहोगे.

    अब तो लड्डू भी हनुमान जी खा चुके होंगे, वरना वो ही वापस ले आते. 🙂

  10. श्रीश और प्रियंकर जी के नाम से हमें भी मेल आए थे. उसने पूछा ‘इज श्रीश योर यार’? उसने हाँ या न में जवाब माँगा था. हमने कहा ना. बात खत्म हो गई. वही सवाल प्रियंकर जी को लेकर. हम देखने लगे की कहीँ जगह मिले तो पूरा एक पैराग्राफ लिख डालें कि भैया उनसे तो बातें होती रहती हैं. और ये कि टेलीफोनिक चिटठा चर्चा कर लेते हैं. लेकिन जिन्हें मैं प्रियंकर भैया बुलाता हूँ, उन्हें यार कैसे कह दूँ. शिष्टाचार ने बचा लिया हमें. उसने लिखने का मौका ही नहीं दिया. हाँ या ना में जवाब माँगा. ये मेरे लिए शुभ हुआ और उसके लिए भी.

    आपने बड़ा उपकार किया ये बताकर. अगली बार अगर सवाल आया कि; ‘इज जितेन्द्र योर यार’ तो हम आपकी ये वाली पोस्ट वहाँ पर चिपका देंगे.

  11. जीतू भाई हमारे मेल बॉक्‍स पर इस तरह के मेलों की भरमार है ।
    रोज़ आते हैं ।
    क्‍या करें । हम केवल उन्‍हें निहार कर डिलीट कर देते हैं ।
    ये साईट एडवाइजर की पुडि़या अचछी पकड़ाई ।
    लेकिन क्‍या इस बारे में कुछ और टॉर्च दिखायेंगे

  12. अरे भाई!
    हमें भी श्रीश,संजय और पंकज बेंगाणी तथा प्रमेन्द्र की तरफ़ से ऐसा मेल आया था . तो हमने क्लिक तो किया था . अब हमें क्या पता कि हम भी उसी चक्कर में फंस गये हैं . शायद ऐसा ही संदेश पाकर मुझे अनामदास जी ने मेल किया था कि प्रियंकर जी मैं यकीनन आपका यार हूं ,पर अपना जीमेल और गूगल चैट पर बात करना ही सुविधाजनक होगा . अब मामला समझ में आ रहा है .

    मैं ज्ञान जी , शिवकुमार जी और अन्य मित्र जिनके पास इस तरह के मेल गये हैं, सभी से क्षमा चाहूंगा कि मैंने अनजाने में उनके लिए मुसीबत खड़ी कर दी . आगे से सावधान रहूंगा .

  13. जीतू भाई!
    मैंने खोज-खाज कर अपना अकाउंट भी ‘डीऐक्टीवेट’ कर दिया है ताकि ‘रिमूव’ किया जा सके . क्या अब भी मेरे नाम से मैसेज़ जा सकते हैं ? अब और क्या करूं ? सबको मेल करूं कि ऐसे संदेश आने पर बिना खोले मिटा दें . हमारी तो विश्वसनीयता दांव पर लगी है . पता नहीं किस-किस को इस तरह के मैसेज़ गये होंगे .

  14. सब अपनी अपनी कह चुके अब मैं क्या कहूं? इस मेल में ऐसा लिखा होता है आप यस पर क्लिक कीजिये वरना प्रियंकर, श्रीश , संजय या पंकज समजेंगे आप ना कह रहे हैं इसी दुख: में कई दिनों तक मेल को डिलिट भी नहीं किया। यहाँफोटॊ में देखिये सबसे उपर।
    तभी पिछले साल की एक बात याद आई जिसमें जीतू भाई के नाम से मेल आई थी और हमने भी (जीतू भाई के नाम से प्राप्त मेल को फर्जी कैसे समझते?) रजिस्टर्ड करवा दिया। बाद में जीतू भाई के कहने पर अपना पासवर्ड बदल दिया और सब मित्रों को मेल करदी कि मेरे नाम से प्राप्त इस मेल के आमंत्रण को स्वीकार ना करें।

  15. आये निमंत्रण तो कई नामों से हैं…मगर बदनाम सबसे ज्यादा श्रीश को किया जा रहा है, यह मुझसे नहीं देखा जा रहा..आँख में आंसू आ गये. गला भर आया. मैं यहाँ से जा रहा हूँ. आखिर श्रीश हमारे यार है, तीन तीन बार कह चुके हैं वो ईमेल से, उनकी बदनामी कैसे देख सकता हूँ. 🙁

  16. अपने राम तो सीधे डिलिट कर देते हैं. समीरलाला ठीक कहते हैं श्रीश के नाम से ऐसी यारी के आफर ज्यादा आते हैं.

  17. वो ही मैं कहूं श्रीशजी के हम बिना आफिशियल यारी के यार हैं। फिर काहे इस चक्कर में हैं।

  18. स्त्री होने का कुछ तो लाभ हुआ ! जितना हम प्रियंकर जी व श्रीश जी को जानते हैं उससे तो नहीं लगता था कि वे किसी स्त्री से ऐसा प्रश्न पूछेंगे । सो हमें तो दाल में काला क्या, काले में दाल रूपी बस दो नाम दिखे । ना डिलीट किया ना उत्तर दिया । सो हम तो बच गए ।
    घुघूती बासूती

  19. भई फँसा तो मैं भी था, अब क्या नाम लेना। इस हिन्दी जगत के ही कई-कई यारों के नाम से निमंत्रण आये, मगर हम ढीठ बने बैठे रहे। उस निमंत्रण को छोड़ा, पहले यारी की साईट पर देखा, नेटवर्क का हिस्सा बनने का लालच तो हुआ पर लोभ को छोड़ दिया और बस भूल गये यह सोचकर कि कभी मेल से पूछ लेंगे यारों से, कि क्या ख़ुद ही न्योता भेजा था या फिर यार कभी दोबारा याद करें शायद। मगर यह बात तो है ही कि हमारा पता तो चला ही गया स्पामर्स के पास!

  20. हमें तो पता था। फिर ये सब क्यों पढ़वा दिया यार!

  21. सही कह रहे हैं भाई लोग (एकाध-दो बहनें भी),
    हम भी बेशर्म होकर सीधे डिलीट कर दिये (सामने वाले से पूछा तक नहीं), क्योंकि जब चार-पाँच लोग आपको एक ही दिन “यार” बनाने पर तुल जायें तो शक तो होगा ही.. एक और बात हाल ही में मुझे यूके की दस लाख पौंड वाली लाटरी जीतने की सूचना मिली, और कहा गया कि “कोरियर और हैंडलिंग” चार्जेस के लिये सिर्फ़, जी हाँ सिर्फ़ तीस हजार रुपये माँगे गये, मैंने उसे जवाब दे दिया है कि तीस हजार तो मेरी सालाना बचत भी नहीं है, इसलिये पहले तू लाटरी के पैसे भेज, उसमें से तुझे तीस हजार नहीं नहीं तीन लाख दूँगा, वरना तेरी… (असामाजिक शब्द), बस उस दिन के बाद से फ़िर कोई मेल नहीं आई (शायद उधर बैठा बन्दा हिन्दुस्तानी होगा, जो मेरा असामाजिक शब्द समझ गया होगा)… आप भी यही तरीका आजमायें, लेकिन “यारबाजों” को छोड़कर…. 🙂 🙂

  22. हम भी फसे और फिर पोस्ट भी लिखी की “मैं आपका यार नहीं हूँ”. इसे पढ़ने वाले फिर भी फँसते रहे ! बहुत चालाकी से काम करती है यारी साइट.

  23. चलो आप लोगों के अनुभव पढ़कर हमे सीख मिल गयी ।

  24. चुटीले तरीक़े से मूल्यवान जानकारी. मुझे पता था किंतु बारीकियां आपने ही बताई हैं. धन्यवाद